प्रदेश सरकार के लिए भस्मासुर हो रहे है ,दिग्विजय सिंह के उल्टे- सीधे निर्णय

. प्रदेश में चल रहे राजनीतिक घमासान को लेकर इन दिनों माहौल पूरी तरीके से सस्पेंसफुल बढ़ा हुआ है ।दिल्ली और भोपाल के बीच चल रही राजनीतिक रस्साकशी को लेकर प्रदेश का मतदाता प्रदेश के राजनीतिक भविष्य को लेकर आशंकित  यूं तो आज होली का पर्व है, लेकिन सभी की निगाहें प्रदेश के राजनीतिक भविष्य पर टिकी हुई है ।राजनीतिक जानकारों का मानना है, कि प्रदेश की स्थिति एक-दो दिन कि नहीं बल्कि लंबे समय से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ को दी गई उल्टी-सीधी सराव का परिणाम है। यह कहना गलत नहीं होगा ,कि अगर मौजूदा सरकार जाती है। तो इसके सबसे ज्यादा जिम्मेदार पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह होंगे। उन्होंने समय-समय पर मुख्यमंत्री कमलनाथ को दी गई सलाह और जबरिया प्रदेश सरकार पर हस्तक्षेप के चलते सरकार आज इस स्थिति में आ गई है। पुत्र मो और अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते दिग्विजय सिंह ने प्रदेश की कांग्रेस राजनीति में महत्व ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनसे जुड़े हुए लोगों को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया। इसी का परिणाम यह रहा कि आक्रोश धीरे-धीरे एक बड़े रूप में सामने आ गया मौजूदा घटनाक्रम इसी की पुनरावृति है ।लंबे समय से प्रदेश की राजनीति में अपने आप को महत्वपूर्ण राजनीति जिम्मेदारी की बाट जो रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुख्यमंत्री कमलनाथ और पार्टी हाईकमान को हरसंभव संकेत दिए लेकिन माना जा रहा है ।कि सत्ता में डूबे कमलनाथ को शायद यह संकेत सुनाई नदी दिया ।यूं तो हमेशा राजनीतिक गलियारों में शांत रहने वाला मध्य प्रदेश इन दोनों खासा गरमाया हुआ है। आज का दिन प्रदेश की राजनीति के लिए मैं फूल साबित हो सकता है। अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से बरामद कर भाजपा के साथ जाकर नई सरकार बनाने के संकेत देते हैं। तो आगामी दिन प्रदेश की राजनीति में बेहद मुश्किलों भरे रहेंगे ।चूँकि प्रदेश की खस्ताहाल वित्तीय स्थिति जग जाहिर है। ऐसे में एक बार पूरे प्रदेश को चुनाव की ओर धकेलना एक घातक कदम हो सकता है ।