साम्प्रदयिक सदभाव की जीवंत मिशाल श्री राजा बाक्षर महाराज मंदिर देश की मजहवी एकता का मजबूत केंद्र है।लगभग 300 वर्ष पुराने श्री राजा बाक्षर महाराज मंदिर में हर जाति,धर्म एवं मजहव के लोग आपसी भेदभाव के भूलकर एक सूत्र में पूजा और इबादत करते है।ग्वालियर के जिंशी नाला नं.1 पर स्थित श्री राजाबाक्षर महाराज मन्दिर पर सभी धर्मों के तीज त्यौहार पूरे श्रद्धाभाव के साथ मनाये जाते है।देश का माहौल कितना भी जहरीला हो लेकिन बाबा के स्थान पर हमेशा अमन औऱ भाई चोरी की बयार बहती रहती है।
आज देश मे अमन, चैन की दुआ लेकर भक्तो का एक दल बाबा के बड़े स्थान महाराष्ट्र सतारा जिले के खातगुण के लिऐ खाना हुआ।मंदिर के गद्दीनशीन संजय ईतापे के नेतृत्व में भक्त चादर लेकर बाबा के मूल स्थान खातगुण रवाना हुये।इस अवसर पर आज सुबह से श्रद्धालुओ का बाबा के दरबार में मेला लगा रहा।इस अवसर पर गद्दीनशीन संजय ईतापे ने कहा कि बाबा का संदेश आपसी भाई चार एवं साम्प्रदायिक अमान चैन ,शांति का है।आज हम सभी इस संदेश को बेकर बाबा के बड़े स्थान पर जा रहे है जहाँ हम देश मे शांति सदभाव के लिऐ दुआ करेंगे।
समाज में अमन शांति का संदेश लेकर श्री राजा बाक्षर महाराज मंदिर से भक्तों का दल हुआ रवाना ।